गुरुवार, 21 जून 2012

साल का सबसे बड़ा दिन ,सबसे छोटी रात और सबसे छोटी परछाई !















जी हा आज साल का सबसे बड़ा दिन ,सबसे छोटी रात और सबसे छोटी परछाई है क्योकि सूरज आज कर्क रेखा पर जो है .इसे देश भर के हजी नहीं दुनिया भर के बच्चो ने इतनी गर्मी में भी पुरे जोश के साथ मनाया .
आज मेरठ में मध्यकाल बारह बजकर इक्कीस मिनट पर था जब सूरज मेरठ के साथ ८४.५ डिग्री के कोण पर था वही उज्जैन में ठीक ९० अंश का कोण बना जिससे परछाई का कोण भी जीरो हो गया .इसके साथ ही बच्चो ने आज मध्यकाल में वास्तविक उत्तर और दक्छिन दिशा का पता लगाना भी सीखा. 
मेरठ से ठीक ११ बजे बालचेतना.ब्लागस्पाट.इन  पर एन.ऐ.एस इंटर कोलेज के मैदान से सीधा प्रसारण शुरू किया जिसे देश के साथ ही दुनिया के कई देशो के बच्चो ने पृथ्वी की परिधि नापने का प्रयोग सीखा . आज पहली बार सीधा लाइव प्रयोग देखने का अवसर पूरी दुनिया को मिला .ये आने वाले समय में एक प्रभावशाली माध्यम होगा विज्ञानं की गतिविधिओ को समझने और करने के लिए.
आज जहा भुज में बदल छाये रहे परन्तु कश्मीर,जम्मू ,आसाम ,उज्जैन ,कोहलापुर ,दिल्ली ,नोएडा, गाजिअबाद ,मेरठ ,बागपत  में प्रयोग में सूरज का पूरा सहयोग मिला , ४६ डिग्री से अधिक तापमान पर भी बाल विज्ञानी आकडे इकठ्ठा करने के लिए पुरे उत्साह के साथ जुटे रहे .
कल ४.३०पर पूरी दुनिया के बच्चे अपने अपने अकड़े प्रस्तुत करेंगे और वेदिओकोन्फ़्रेन्सिन्ग के माध्यम से. 
इस पुरे आयोजन को देखने के लिए माँ और दादी  भी बच्चो के साथ आई थी . मो.मतीन अंसारी ,श्रीमती माला जी की देखरेख में यह आयोजन किया गया . इस अवसर पर श्रीमती उषा शर्मा, ऐ.के.गोएल,दिलशाद,प्रधानाचार्य अशोक कुमार शर्मा,डॉ.ज.क.शर्मा,डॉ.राजेश मोहन शर्मा भी उपस्थित थे 
दीपक शर्मा

मंगलवार, 12 जून 2012

दुरलभ सिक्को की धरोहर -एक विज्ञान



सन 47में आजादी के बाद मेरठ के प्रथम मजिस्ट्रेट रहे डा0 निजाम की आठ पुत्रियो में से एक तनवीर जहॅंा अपने शौहर जहाॅगीर आलम के साथ एन.ए.एस.इन्टर कालिज में विज्ञान अध्यापक दीपक शर्मा से मिलने के लिए पहुची और अपने पास रखे दुर्लभ सिक्को दिखाया ।
दीपक शर्मा पीतल ,ताॅंबा,जस्ता,चाॅंदी और एल्युमिनियम के बने सिक्कों को देखकर महसुस किया कि यह एक धरोहर हैं। उनके पास पहले से ही कुछ सिकको का संग्रह है।
मेरठ के तीन बड़े रईस परिवारेा में से एक चुने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाली तनवीर जहाॅं खैरनगर की रहने वाली है उन्होने 557 ई0 में रामदरबार बने सिक्के ,जूनागढ़ की रियासत में चले तांबे की टिकड़ी, शाह आलम बादशाह के नाम से चला सिक्का, 1942 में जोराव गायकवाड़ का सरकारी सिक्का, 1907 में बना चाॅदी का एक पैसा,1919 में जार्ज पंचम के समय का जस्ते का बना 4 पेन्स,1934 में बना हाफ रूपीज का सिक्का,1959 में बना एक पैसा, के अलावा 1976,77,89 में बने पाकिस्तान के सिक्के,1972 में बना लिबर्टी .यूएस.ए, का एक डालर, 1968 में बना कन्या का सिक्का,1947 में बना 5फ्रेन्स,1966 का 6 पेन्स,और 1965 में बना इटली का डालर के साथ ही महात्मा गांधी के तीन बंन्दरो वाला लाकेट सहीत कुल 33 सिक्के दिखाये।
तनवीर जहाॅं और उनके शैहर जहागीर आलम ने ये सिक्के एक कांच के मजबुत बक्से में रखकर दीपक शर्मा को दान कर दिये ताकि सिक्को के इतिहास और विज्ञान को नयी पीढ़ी के बच्चे समझ सके।
इस अवसर पर दीपक शर्मा ने उनसे वादा लिया कि जबभी इसकी प्रदर्शनी लगेगी वे स्वयं उपस्थित जरूर रहें साथ ही ये भी आशा व्यक्त की शहर के जिन लोगो के पास ऐसे दुलर्भ सिक्के हैं वे अगर एक इक्टठा होकर इसकी प्रदर्शनी लगाये या फिर दान दे तो उनके नाम के साथ ही उन सभी का प्रदर्शन किया जायेगा। इस प्रकार मेरठ के पास अपना एक दुलर्भ संग्रहालय भी होगा।
डा0 डी0के पाल

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